hi
Libros
Premchand

Sawa Ser Gehun Aur Prerna

किसी गाँव में शंकर नाम का एक कुरमी किसान रहता था। सीधा-सादा गरीब आदमी था, अपने काम-से-काम, न किसी के लेने में, न किसी के देने में। छक्का-पंजा न जानता था, छल-प्रपंच की उसे छूत भी न लगी थी, ठगे जाने की चिन्ता न थी, ठगविद्या न जानता था, भोजन मिला, खा लिया, न मिला, चबेने पर काट दी, चबैना भी न मिला, तो पानी पी लिया और राम का नाम लेकर सो रहा।
23 páginas impresas
Publicación original
2017
Año de publicación
2017
¿Ya lo leíste? ¿Qué te pareció?
👍👎
fb2epub
Arrastra y suelta tus archivos (no más de 5 por vez)